भगत सिंह के जन्म दिन(27 सितंबर) पर....
एक बच्चे (सुनील राय, उम्र 12 वर्ष) की बेहतरीन कविता , जो हमारे लिए ही नहीं ,हमारी बड़ी हो रही अगली पीढ़ी के लिए भी प्रेरणादायक है... साथ ही देश के राजनीतिक परिदृश्य में लगातार जिस तरह मूल्यों का ह्रास हो रहा है, उसमें नयी पीढ़ी को एक साफ.स्वच्छ व्यवस्था को लाने के लिए संघर्ष का संदेश भी देती है। ( कविता-समकालीन जनमत, नवंबर 2006 से साभार)
मेरी पीढ़ी के आदर्श पुरुषों की...
एक बच्चे (सुनील राय, उम्र 12 वर्ष) की बेहतरीन कविता , जो हमारे लिए ही नहीं ,हमारी बड़ी हो रही अगली पीढ़ी के लिए भी प्रेरणादायक है... साथ ही देश के राजनीतिक परिदृश्य में लगातार जिस तरह मूल्यों का ह्रास हो रहा है, उसमें नयी पीढ़ी को एक साफ.स्वच्छ व्यवस्था को लाने के लिए संघर्ष का संदेश भी देती है। ( कविता-समकालीन जनमत, नवंबर 2006 से साभार)
मेरी पीढ़ी के आदर्श पुरुषों की...
चर्चा करें तो
वे होंगे आजकल के फिल्मी सितारे
...
या फिर मशहूर खिलाड़ी
देश भक्त तो इसमें शामिल ही नहीं होते
पर मेरे आदर्श हैं भगत सिंह
मेरे दोस्त इस पर मेरा मजाक भी करते हैं
शायद इसलिये कि आजाद हवा में हमने साँस ली
पर क्या वे जानते हैं, इस हवा को आजाद करने के लिये
मेरे भगत सिंह ने अपनी जान दी
जान देकर पूरे भारत की युवा पीढ़ी को
आजादी के लिए लड़ने का लक्ष्य दिया
आजादी की कीमत समझाने के लिए
शायद जरूरत है फिर वैसे ही धमाके की
जो देश की इस व्यवस्था को हिला सके
चाहिए फिर एक और भगत सिंह
जो हमें एक मकसद दिला सके
हमारी दौड़ तो, हमारे माँ .बाप ने
अपने कैरियरों तक सीमित कर दी है
देश के बारे में मत सोचो,ऐसा फरमान रहता है
और फिल्में देखकर ही पता चलता है
कौन था भगत सिंह
और भगत सिंह क्या कहता है
हमें चाहिए फिर वो भगत सिंह
कहाँ से आए वो भगत सिंह
आओ बन जाएँ वो भगत सिंह!
वे होंगे आजकल के फिल्मी सितारे
...
या फिर मशहूर खिलाड़ी
देश भक्त तो इसमें शामिल ही नहीं होते
पर मेरे आदर्श हैं भगत सिंह
मेरे दोस्त इस पर मेरा मजाक भी करते हैं
शायद इसलिये कि आजाद हवा में हमने साँस ली
पर क्या वे जानते हैं, इस हवा को आजाद करने के लिये
मेरे भगत सिंह ने अपनी जान दी
जान देकर पूरे भारत की युवा पीढ़ी को
आजादी के लिए लड़ने का लक्ष्य दिया
आजादी की कीमत समझाने के लिए
शायद जरूरत है फिर वैसे ही धमाके की
जो देश की इस व्यवस्था को हिला सके
चाहिए फिर एक और भगत सिंह
जो हमें एक मकसद दिला सके
हमारी दौड़ तो, हमारे माँ .बाप ने
अपने कैरियरों तक सीमित कर दी है
देश के बारे में मत सोचो,ऐसा फरमान रहता है
और फिल्में देखकर ही पता चलता है
कौन था भगत सिंह
और भगत सिंह क्या कहता है
हमें चाहिए फिर वो भगत सिंह
कहाँ से आए वो भगत सिंह
आओ बन जाएँ वो भगत सिंह!
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