Sunday 30 September 2012

पहचान लिया है नारी ने
पितृसत्ता के उन अस्त्रों को
जिन्होंने सदियों उसे
...
पराधीन रखा
...
वह सहती रही
प्रतिकार भी करती रही
पर कोमल भावनाओं के वशीभूत
तज नहीं पाई
उस दोगली व्यवस्था को
पर अब उसने चुन लिया है
अपने हिस्से का आकाश
अपने हिस्से की आधी जमीन
और खुशी...........

Friday 28 September 2012

ज्यौलिंगकांग (छोटा कैलास या आदि कैलास )-


ज्यौलिंगकांग (छोटा कैलास या आदि कैलास )- इस क्षेत्र में भोटांतिकों का धार्मिक स्थल है। यहाँ एक मन्दिर है। लोग अपने परिवार,ख़च्चर,घोड़े और जिब्बू, तम्बू, खाद्य सामग्री आदि के साथ ज्यौलिंगकांग की ओर प्रस्थान करते हैं। जन्माष्टमी भी मनाई जाती है। वर्तमान में मुन्स्यारी के निवासी श्री जगत मर्तोलिया के अनुसार ’’ब्यांस घाटी में स्थित इस स्थल में गुंजी,गब्र्यांग,कुटी आदि स्थानों से लोग जाते हैं। मन्दिर मूलतः शिव का है,पर जन्माष्टमी से संबंधित चित्र भी हैं। ज्यौलिंगकौंग मूल रूप से तिब्बती नाम है। भारतीय क्षेत्र में छोटा कैलास या आदि कैलास नाम ही प्रचलित है।पहले तिब्बती व्यापारी भी यहाँ आया करते थे,पर 1962 के भारत.चीन युद्ध के उपरान्त स्थितियों में परिवर्तन हुआ। ’’बारह वर्ष के उपरांत कुम्भ का उल्लेख गंगोत्री गब्र्याल ने भी अपनी पुस्तक ’यादें’ में किया है।’’ 
छोटा कैलास या आदि कैलास क्षेत्र में देश के सभी भागों से तीर्थयात्रियों के जाने की परंपरा रही है

Thursday 27 September 2012

भगत सिंह के जन्म दिन(27 सितंबर) पर...

भगत सिंह के जन्म दिन(27 सितंबर) पर....
एक बच्चे (सुनील राय, उम्र 12 वर्ष) की बेहतरीन कविता , जो हमारे लिए ही नहीं ,हमारी बड़ी हो रही अगली पीढ़ी के लिए भी प्रेरणादायक है... साथ ही देश के राजनीतिक परिदृश्य में लगातार जिस तरह मूल्यों का ह्रास हो रहा है, उसमें नयी पीढ़ी को एक साफ.स्वच्छ व्यवस्था को लाने के लिए संघर्ष का संदेश भी देती है। (
कविता-समकालीन जनमत, नवंबर 2006 से साभार)

मेरी पीढ़ी के आदर्श पुरुषों की...
चर्चा करें तो
वे होंगे आजकल के फिल्मी सितारे
...
या फिर मशहूर खिलाड़ी
देश भक्त तो इसमें शामिल ही नहीं होते
पर मेरे आदर्श हैं भगत सिंह
मेरे दोस्त इस पर मेरा मजाक भी करते हैं
शायद इसलिये कि आजाद हवा में हमने साँस ली
पर क्या वे जानते हैं, इस हवा को आजाद करने के लिये
मेरे भगत सिंह ने अपनी जान दी
जान देकर पूरे भारत की युवा पीढ़ी को
आजादी के लिए लड़ने का लक्ष्य दिया
आजादी की कीमत समझाने के लिए
शायद जरूरत है फिर वैसे ही धमाके की
जो देश की इस व्यवस्था को हिला सके
चाहिए फिर एक और भगत सिंह
जो हमें एक मकसद दिला सके
हमारी दौड़ तो, हमारे माँ .बाप ने
अपने कैरियरों तक सीमित कर दी है
देश के बारे में मत सोचो,ऐसा फरमान रहता है
और फिल्में देखकर ही पता चलता है
कौन था भगत सिंह
और भगत सिंह क्या कहता है
हमें चाहिए फिर वो भगत सिंह
कहाँ से आए वो भगत सिंह
आओ बन जाएँ वो भगत सिंह!