Monday 23 July 2012

स्थान नामों का महत्व

स्थान नामों का महत्व
उत्तर प्रदेश की सरकारों को शहरों के नाम परिवर्तित करने में ही जनहित दिखाई देता है। स्थानों के नामकरण में भौगोलिक स्थिति,निवासी, बसाने वाला व्यक्ति,निकट का प्रसिद्ध स्थान, स्थान विशेष पर घटित कोई महत्वपूर्ण घटना, स्थान विशेष से सम्बन्धित लोकधारणा, मानव समूहों का एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र की ओर संक्रमण करते हुए अपने पूर्व निवास स्थान के नामों से नये सन्निवेशों का नामकरण करने की प्रवृत्ति  आदि कारणों की भूमिका होती है। विशेष रूप से ऐतिहासिक, पुरातात्विक और साहित्यिक स्रोतों के अभाव में स्थान नाम ही एकमात्र ऐसे साधन के रूप में प्रकट होते हैं,जिनके द्वारा विस्मृत हो चुके सन्निवेशों,सांस्कृतिक केन्द्रों, अतीत में घटित महत्वपूर्ण घटनाओं के स्थलों, प्राचीन जातीय तत्वों, भाषा समूहों, रीति. रिवाजों,जातीय संक्रमण,व्यवसाय,उपज,वन संपदा एवं भौतिक परिदृश्यों के साथ.साथ विभिन्न युगों में प्रचलित लोकधारणाओं का भी आकलन किया जा सकता है।किसी भी क्षेत्र के स्थानों के नामकरण के आधार की खोज कर बिना किसी अन्य स्रोत की सहायता से क्षेत्र विशेष का भौगोलिक , वानस्पतिक,आर्थिक,सामाजिक एवं सांस्कृतिक रेखाचित्र खींचा जा सकता है। इसी प्रकार प्राचीन अभिलेखों एवं साहित्य में वर्णित स्थान नामों का भाषा वैज्ञानिक दृष्टि से अध्ययन करने पर संबन्धित युग में जनता द्वारा लिखी और बोली जाने वाली भाषा तथा उस भाषा के विकास में सहायक राजनीतिक और सांस्कृतिक तत्वों को भी प्रकाश में लाया जा सकता है।
अतः स्थान नाम किसी भी क्षेत्र के इतिहास भूगोल, सामाजिक,सांस्कृतिक और आर्थिक परिदृश्य के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण दस्तावेज होते हैं। मात्र तथाकथित राजनीतिक उद्देश्यों और स्वार्थों की पूर्ति के लिए बिना किसी आधार के लगातार नामों में परिवर्तन कहाँ तक न्यायसंगत है?


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