Wednesday 7 November 2012

हल्द्वानी मण्डी से महानगर की ओर - किरन त्रिपाठी, ज्ञानोदय प्रकाशन नैनीताल 2012


   
’’1834 में कुमाऊँ के भाबर प्रदेश में एक मण्डी की कमी को पूरा करने के लिए कमिश्नर जाॅर्ज विलियम ट्रेल द्वारा स्थापित  हल्द्वानी आज एक महानगर का रूप ले चुका है। यद्यपि कुमाऊँ में ईस्ट इण्डिया कम्पनी के आधिपत्य से पूर्व भी गौला नदी के आस.पास जहाँ सिंचाई की थोड़ी.बहुत व्यवस्था संभव थी, गाँव बसे हुए थे। 1850 से पूर्व हल्द्वानी में केवल झोपड़ियाँ ही थीं। जलवायु भी अच्छी नहीं थी। जैसे ही जाड़ों की फसल कटती, लोग पहाड़ों की ओर लौट जाते थे। यही कारण है कि भाबर और पहाड़ों की तलहटी के संगम पर , जहाँ पेयजल उपलब्ध था, प्रचीन सन्निवेशों के अवशेष मिलते हैं।.......’’
       यह पुस्तक उत्तराखण्ड के भाबर प्रदेश में तेजी से हो रहे नगरीकरण के बहाने एक प्रतिनिधि नगर की विकास यात्रा को समझने का प्रयास है।

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